मैं कितना जानता हूँ तुम्हें 
इतने दिनों के प्यार में 
क्या जानना बस इतना भर है, कि 
तुम्हारा पता, रुचि-अरुचि बस। 
या इससे भी कहीं ज्यादा 
मुझे जानना चाहिए था 
जो सामान्यतः तुम एक पुरुष को 
नहीं बता सकती 
उसकी बनी हुई मानसिकता के कारण 
इतने दिनों के प्यार के बाद भी। 
पिछली रात को तुम्हारे बुखार की गर्मी और 
चूल्हे के ताप के संघर्ष के बाद भी 
मुझे केवल स्वाद ही पता चल सका, 
उफार में लाल चटख रंग की साड़ी 
जो तुम पर मुझे अच्छी लगती है 
क्या मैं जान पाया इस चटख से इतर भी। 
ये रंग और स्वाद जो केवल मेरे लिए थे 
क्या मैं जान पाया इससे भी इतर 
तुम्हारे बारे में 
इतने दिनों के प्यार के बाद भी।

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