इश्क | नीरज पांडेय

इश्क | नीरज पांडेय

उसे 
तब और ज्यादा इश्क मिलेगा 
जब महुआ कम चुए 
और सराँय में शराबों की कमी हो जाय 
इसीलिए 
वो संझा माई को रोज मनाती है 
उसे पता है 
शराबें इनसान से मुहब्बत छीन लेती हैं

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