इसका क्या मतलब है! | कृष्णमोहन झा
इसका क्या मतलब है! | कृष्णमोहन झा
ड्योढी के टाट पर
खीरे के पात की हरी छाँह के नीचे
मेरी बाट जोह रही होगी मेरी लालसा…
रात की शाखों से उतरकर रोज
गिलहरी की तरह फुदकती हुई
मुझे खोज रही होगी मेरी नींद…
मेरे स्वप्न
मेरी अनुपस्थिति पर सर टिकाकर सो रहे होंगे
और मेरे हिस्से का आसमान
बिना छुए ही धूसर हो रहा होगा…
इसका क्या मतलब है
कि जहाँ लौट पाना अब लगभग असंभव है
वहीं सबसे सुरक्षित है मेरा वजूद ?