ह्रदय रोग ऐसा रोग नहीं है कि बुखार की तरह रात को चढ गया। और दो दिन बाद दवा लेने के बाद उतर गया , इस रोग को प्रत्येक व्यक्ति अपनी जीवन शैली के कारण अपने अन्दर विकसित करता जाता है जैसे जैसे आयु बढती है इस के लक्षण संकेत देने लग जाते हैं आज से कई साल ( सन 1996 ) पहले मेरे पिता जी का दिल्ली के एस्कॉर्ट्स हास्पीटल ( आजकल नाम बदलकर फोर्टिस हो गया है) मे बाए पास सर्जरी का आप्रेशन हुआ था उस समय मैं उनकी तीमारदारी के लिए अधिकतर वहीं रहता था और लोगों से मेरी बातचीत होती थी जिनमें अधिकतर मरीजों के रिश्तेदार होते थे। और कई मरीज आयु मे मेरे पिता जी से भी छोटे थे उस समय पिता जी की उम्र 62 साल की थी। तो सारी वहाँ मिली जानकारी के आधार पर मे इस रोग से बचने के उपाय गिनाने से पहले इस रोग के होने के कारण भी बताना चाहुँगा।
इस रोग के होने की तीन वजहें जिन्हें डॉक्टर भी गिनाते हैं
Hurry, Curry, Worry
पहला, हमेशा जल्दबाजी मे रहने वाले मनुष्य इस रोग के वाहक होते हैं
दुसरा, करी बोले तो, ज्यादा वसा वाला खाना खाने वाले भी इस रोग को अपने सीने के अंदर जल्दी पाल लेते हैं।
तीसरा, वरी यानि मन मे हमेशा कोई ना कोई बेवजह चिंता पाल के रखने वाला भी सम्भावित ह्रदय रोगी बनता है
ह्रदय रोग को दुर रखने के लिए कुछ उपाय :-
नियमित व्यायाम,या पैतालीस मिनट की सैर, योग करना, संतुलित भोजन, चिंता दुर करने के लिए अपने ईश की शरण मे जाना, अगर पीने का शौंक है तो 30 एम एल के दो पेग से एक बुंद भी ज्यादा नहीं लेनी , नींद पुरी लेना , धुम्रपान बंद करना ,यदि नहीं कर सकते तो दिन मे दो या तीन ही सिगरेट पीएं। सेक्स लाइफ भी एक्टिव रखें।, लाल मांस यानि मटन,बीफ आदि बंद ना हो सके तो छठे छमाही खाएँ, नानवेज खाना का ज्यादा दिल करे तो मछली या चिकन लें पर कम से कम तेल मे बना हुआ हो।, कई शोधों से पता चला है कि बिल्कुल घी बंद करना भी ठीक नहीं है इसलिए वसा लें परन्तु ज्यादा नहीं।