हत्यारे की आँख का आँसू और तुम्हारा चुंबन सुनो | प्रतिभा कटियारी
हत्यारे की आँख का आँसू और तुम्हारा चुंबन सुनो | प्रतिभा कटियारी

हत्यारे की आँख का आँसू और तुम्हारा चुंबन सुनो | प्रतिभा कटियारी

हत्यारे की आँख का आँसू और तुम्हारा चुंबन सुनो | प्रतिभा कटियारी

सुनो,
बहुत तेज आँधियाँ हैं
इतनी तेज कि अगर
ये जिस्म को छूकर भी गुजर जाएँ
तो जख्मी होना लाजिमी हैं
और वो जिस्मों को ही नहीं
समूची जिंदगियों को छूकर निकल रही हैं
उन्हें निगल रही हैं
ना… रोशनी का एक टुकड़ा भी
धरती तक नहीं पहुँच रहा
सिसकती धरती के आँचल पर सूरज की रोशनी का
एक छींटा भी नहीं गिरता
मायूसियों के पहाड़ ज्यादा बड़े हैं
या जंगल ज्यादा घने कहना मुश्किल है
जिंदगी के पाँव में पड़ी बिवाइयों ने रिस-रिस कर
धरती का सीना लाल कर दिया है
और उम्मीदों की पीठ पर पड़ी दरारें
अब मखमली कुर्ती में छुपती ही नहीं
हत्यारे का जुनून और उसकी आँखों की चमक
बढ़ती ही जा रही है
इन दिनों उसने अपनी आँखों में
आँसू पहनना शुरू कर दिया है
आँसुओं की पीछे आने वाले में वो अपने अट्टहास रखता है
और होठों पर चंद भीगे हुए शब्दों के फाहे
जिन्हें वो अपने खंजर से किए घावों पर
बेशर्मी से रखता है
सुनो, तुम्हें अजीब लगेगा सुनकर
लेकिन कुछ दिनों से भ्रूण हत्याएँ
सुखकर लगने लगी हैं
जी चाहता है ताकीद कर दूँ तमाम कोखों को
कि मत जनना कोई शिशु जब तक
हत्यारों का अट्टहास विलाप न बन जाए
जब तक रात के अँधेरों में इनसानियत के उजाले न घुल जाएँ
बेटियों, तुम सुरक्षित हो माँओं की ख्वाबगाह में ही
तुम्हारी चीखों के जन्म लेने से पहले
तुम्हें मार देने का फैसला, उफ…
सुनो, तुम तो कहते थे कि हम बर्बर समाज का अंत करेंगे
अँधेरों के आगे उजालों को घुटने नहीं टेकने देंगे
प्रिय, तुम तो कहते थे कि एक रोज यह धरती
हमारे ख्वाबों की ताबीर होगी
हमारी बेटियाँ ठठाकर मुस्कुराएँगी…
इतनी तेज कि हत्यारे की आँखों के झूठे आँसू झर जाएँगे
और उसके काँपते हाथों से गिर पड़ेंगे हथियार
एक रोज तेज आँधियों के सीने पर हम
उम्मीदों का दिया रोशन करेंगे…
और आँधियाँ खुद बेकल हो उठेंगी
उस दिए को बचाने के लिए
प्रिय, आज जब हवाओं का रुख इस कदर टेढ़ा है
तुम कहाँ हो
इस बुरे वक्त में सिर्फ हमारा प्रेम ही तो एक उम्मीद है
आओ मेरी हथेलियों को अपनी चौड़ी हथेलियों में ढाँप लो
आओ मेरा माथा अपने चुंबनों से भर दो
तुम्हारा वो चुंबन
इस काले वक्त और भद्दे समाज का प्रतिरोध होगा
तुम्हारा वो चुंबन हत्यारे के अट्टहास को पिघलाएगा
वो जिंदगी के पाँव की बिवाइयों का मरहम होगा
और धरती के नम आँचल में रोशनी का टुकड़ा
सुनो, सिर्फ मुझे नहीं
समूची कायनात को तुम्हारा इंतजार है
कहाँ हो तुम…

READ  राष्ट्रपति के कारण ये घोड़े महान हैं

Pratibha Katiyar Stories / Poems

हरा | प्रतिभा कटियारी

हरा | प्रतिभा कटियारी हरा | प्रतिभा कटियारी कुछ जो नहीं बीततासमूचा बीतने के बाद भीआमद की आहटें नहीं ढक पातीइंतजार का रेगिस्तानबाद भीषण बारिशों के भीबाँझ ही रह जाता हैधरती का कोई कोनाबेवजह हाथ से छूटकर टूट जाता हैचाय का प्यालासचमुच, क्लोरोफिल का होनाकाफी नहीं होता पत्तियों कोहरा रखने के लिए…

सौंदर्य | प्रतिभा कटियारी

सौंदर्य | प्रतिभा कटियारी जबसे समझ लिया सौंदर्य का असल रूपतबसे उतार फेंके जेवरात सारेन रहा चाव, सजने-सँवरने कान प्रशंसाओं की दरकार ही रहीनदी के आईने में देखी जो अपनी ही मुस्कानतो उलझे बालों में ही सँवर गईखेतों में काम करने वालियों सेमिलाई नजरतेज धूप को उतरने दिया जिस्म परन, कोई सनस्क्रीन भी नहींरोज साँवली…

READ  मेरे पास कुछ शब्द बचे हैं

सिर्फ तुम्हारा खयाल | प्रतिभा कटियारी

सिर्फ तुम्हारा खयाल | प्रतिभा कटियारी खिला देता है हजारों गुलाबबहा देता कल कल करती नदियाँसदियों की सूखी, बंजर जमीन परतुम्हारा खयालकोयल को कर देता है बावलाऔर वो बेमौसम गुंजानेलगती है आकाशटेरती ही जाती हैकुहू कुहू कुहू कुहूतुम्हारा खयालहथेलियों पर उगाता हैसतरंगा इंद्रधनुषकाँधे पर आ बैठते हैं तमाम मौसमताकते हैं टुकुर-टुकुरखिलखिलाती हैं मोगरे की कलियाँबेहिसाबहालाँकि…

सुनो, मैं तुम तक पहुँचना चाहती हूँ… | प्रतिभा कटियारी

सुनो, मैं तुम तक पहुँचना चाहती हूँ… | प्रतिभा कटियारी सुनो, मैं तुम तक पहुँचना चाहती हूँतुम्हारे तसव्वुर को हथेली पर लेकरहर रात निकल पड़ता है मेरा मनदहलीज के उस पार…मैं तुम्हारे शहर की हवाओं मेंघुल जाना चाहती हूँ,तुम्हारे कंधे पर गिरने वाली ओसबनना चाहती हूँजिन रास्तों पर भागते-फिरते हो तुममैं उन रास्तों के सीने…

शहर लंदन | प्रतिभा कटियारी

शहर लंदन | प्रतिभा कटियारी शहर लंदन | प्रतिभा कटियारी एक शहर बारिश की मुट्ठियों मेंधूप का इंतजार बचाता हैथेम्स नदी की हथेलियों पे रखता हैशहर को सींचने की ताकीदनिहायत खूबसूरत पुल कहते हैंपार मत करो मुझे, प्यार करोकला दीर्घाओं और राजमहल के बाहरलगता है कलाओं का जमघटएक बच्ची फुलाती है बड़ा सा गुब्बाराकई वहम…

शब्द भर ‘ठीक’ | प्रतिभा कटियारी

शब्द भर ‘ठीक’ | प्रतिभा कटियारी शब्द भर ‘ठीक’ | प्रतिभा कटियारी ‘ठीक’ कहने से पहले जाँच लेना खुद को ठीक सेकि कहीं ‘अठीक’ साथ चिपक न जाएकहे गए ‘ठीक’ की पीठ पर’ठीक’ को सिर्फ शब्द भर बना रहने देनाउसे अपनी मुस्कुराहटों से सजाना, सँवरनाऔर जो इस ठीक से बचा हुआ सच है नउदास, तन्हा,…

READ  चार : तुमसे | अभिज्ञात

वही बात | प्रतिभा कटियारी

वही बात | प्रतिभा कटियारी वही बात | प्रतिभा कटियारी उनके पास थीं बंदूकेंउन्हें बस कंधों की तलाश थी,उन्हें बस सीने चाहिए थेउनके हाथों में तलवारें थीं,उनके पास चक्रव्यूह थे बहुत सारेवे तलाश रहे थे मासूम अभिमन्युउनके पास थे क्रूर ठहाकेऔर वीभत्स हँसीवे तलाश रहे थे द्रौपदीउन्होंने हमें ही चुनाहमें मारने के लिएहमारे सीने परहमसे…

रोने के लिए आत्मा को निचोड़ना पड़ता है | प्रतिभा कटियारी

रोने के लिए आत्मा को निचोड़ना पड़ता है | प्रतिभा कटियारी रोने के लिए आत्मा को निचोड़ना पड़ता है | प्रतिभा कटियारी तुमने रोना भी नहीं सीखा ठीक सेऐसे उदास होकर भी कोई रोता है क्यायूँ बूँद-बूँद आँखों से बरसना भीकोई रोना हैतुम इसे दुख कहते होन, ये दुख नहींरोने के लिए आत्मा को निचोड़ना…

रास्ते | प्रतिभा कटियारी

रास्ते | प्रतिभा कटियारी रास्ते | प्रतिभा कटियारी हम दोनों ही अपने रास्ते खो चुके थेऔर नए रास्ते तलाश रहे थेहम दोनों बहुत थक गए थेलेकिन हारे नहीं थेहम दोनों उदास थेऔर मुस्कुराहटें ढूँढ़ रहे थेहमारी त्वचा पे उभर आई झुर्रियों मेंकिसी रिश्ते का नाम नहीं थाहम दोनों खो गए थे खुद सेलेकिन एक-दूसरे को…

Loading…

Something went wrong. Please refresh the page and/or try again.

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *