हरिजन देखि | दिनेश कुशवाह

हरिजन देखि | दिनेश कुशवाह

( हरिजन देखि प्रीति अति बाढ़ी – तुलसीदास)

खल गई विपदा तो कहा राम राम
टल गई विपदा तो कहा राम राम
कुछ हुआ गड़बड़ तो कहा राम राम
सपने में बड़-बड़ तो कहा राम राम।

बिसर गया काम तो बोले अरे राम
निकल गया काम तो बोल जै राम

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मिले तो राम राम, चले तो राम राम
डकारे तो राम राम, सिधारे तो राम राम
बोली लगी तो राम राम, गोली लगी तो राम राम
जीवन-रेखा राम राम, सबमें देखा राम राम।

बूढ़े बच्चे, झूठे सच्चे, प्रेम से बोलो राम राम
जय श्री राम! हो गया काम।

पर जब सुना किसी का नाम
आगे पीछे लगा है राम
जैसे राम सजीवन राम
या बाबू जग जीवन राम
राम नाम की माला फेंकी
मुँह से निकला छी! छी! राम।

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हरिजन देखा आँखें फूँटीं
करुना, दया, भलाई छूटी।