हमारे समय की क्विलटिंग | प्रतिभा चौहान
हमारे समय की क्विलटिंग | प्रतिभा चौहान

हमारे समय की क्विलटिंग | प्रतिभा चौहान

हमारे समय की क्विलटिंग | प्रतिभा चौहान

तुम्हारा गंभीर समय पर चुप्पी लगा जाना 
समय की आपदा है 
आपदा है मानवीय सभ्यता की 
आपदा है संसार की 
शायद साकार निराकार के बीच 
पतली सी नस में बहता संसार है ये 
शायद अनेक मंगल मस्तिष्क और हृदय के मध्य 
किसी निलय के बीच तैर रहे होंगे 
काश! कोई सरकार कर देती आदेश 
प्रेम की गलियों के चौड़ीकरण का 
क्योंकि, वह इस गली में बह रही संभावना है 
औरतें सदियों से इन गलियों की बाशिंदा 
शायद, 
रेंगती स्मृतियाँ हमारे ऊपर आच्छादित गुलाल हैं 
या 
भावनाओं का ब्लैक ट्यूलिप 
शायद ! 
यही हमारे समय की क्विलटिंग है !

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