मैंने कहा – मैं बाघ हूँ, बाघ 
खा जाऊँगा तुम्हें 
चबा डालूँगा बोटी-बोटी 
उदरस्थ कर लूँगा 
तुम्हारा अस्तित्व

वह सहमी 
बड़ी-बड़ी आँखों में 
उतर आया 
किसी गली-गलियारे का छिपा भय 
एक अपूर्व दहशत 
करुणामयी आँखों से 
मुझे देखा एक बार 
फिर तुरंत सिमट गई 
मेरी बाँहों में 
जिंदगी की पूरी 
गर्माहट के साथ

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अब वह थी 
युगों से ‘भूखा बाघ’ 
मैं था अवश 
लाचार 
बँधा हुआ मेमना 
करुणामयी आँखों से 
मैंने देखा 
उसके प्यार का हिंस्र रूप 
बड़ी-बड़ी आँखों से 
उतरती आग की लाल लपटें 
खा गई मुझे चटपट 
लुप्त हो गया मेरा अस्तित्व

हमारा प्यार 
बाघ और मेमने का 
प्यार था