चोंच में दबाए एक तिनका
गौरय्या
मेरी खिड़की के खुले हुए
पल्ले पर
बैठ गई
और देखने लगी
मुझे और
कमरे को।
मैंने उल्लास से कहा
तू आ
घोंसला बना
जहाँ पसंद हो
शरद के सुहावने दिनों से
हम साथी हों।
![हम साथी | त्रिलोचन](https://www.hindiadda.com/wp-content/uploads/ha/2019/11/A9.png)
सब कुछ हिंदी में
चोंच में दबाए एक तिनका
गौरय्या
मेरी खिड़की के खुले हुए
पल्ले पर
बैठ गई
और देखने लगी
मुझे और
कमरे को।
मैंने उल्लास से कहा
तू आ
घोंसला बना
जहाँ पसंद हो
शरद के सुहावने दिनों से
हम साथी हों।