हम हरे हैं | नवनीत पांडे
हम हरे हैं | नवनीत पांडे
हवाएँ खिलाफ हैं
चाहती हैं
उखाड़ फेंकना हमें
पर वे जानती नहीं
हमारी जड़ें
कितनी गहरी हैं
हम हरे हैं
भरे हैं
हम हरे हैं | नवनीत पांडे
हवाएँ खिलाफ हैं
चाहती हैं
उखाड़ फेंकना हमें
पर वे जानती नहीं
हमारी जड़ें
कितनी गहरी हैं
हम हरे हैं
भरे हैं