हजारों मील दूर | प्रयाग शुक्ला
हजारों मील दूर | प्रयाग शुक्ला

हजारों मील दूर | प्रयाग शुक्ला

हजारों मील दूर | प्रयाग शुक्ला

बच्चों को नींद में
छोड़ कर हम चले आते हैं।
हमारी नींद में
बच्चे आते हैं
सुबह हम एक-दूसरे को
अलग-अलग
शहरों में पाते हैं।
एक-दूसरे से बातें करते
हजारों मील दूर।

READ  बर्बिजोन टेरेस | जोसेफ ब्रोड्स्की

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *