माँ, तुम कैसे इतनी गोल रोटियाँ बेल लेती हो
क्या सोचती हो तुम इन गोल रोटियों के बीच
ये रोटियाँ, दुनिया की जद्दोजहद के केंद्र में हैं
और तुम इस दुनिया से बाहर।
इस गोल दुनिया में
तुम्हारी रोटियों का कोई मूल्य नहीं
और तुम अभी भी
इसे गोल ही कर रही हो
अब तुम्हें इसका आकार बदलना चाहिए
गोल के बजाए चौकोर बना दो
सोचने की दिशाएँ खोलो
क्योंकि ये गोल दुनिया
तुमको गोल रोटियों में ही पसंद करती है
इसलिए इसे ही बादल डालो।