एक स्त्री साथ है | प्रेमशंकर शुक्ला
एक स्त्री साथ है | प्रेमशंकर शुक्ला

उलझनों से उबार लेता
एक हाथ है

एक स्त्री साथ है
साधे हुए मेरी धरती-आकाश
जोड़े हुए अपनी आयु
मेरी आयु से

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