एक मूरत और | आरती
एक मूरत और | आरती
मीरा गाती रही
साँसों के झाँझ मजीरे बजा बजाकर
समझाती रही प्रेम की पीर
‘मेरो दरद न जाने कोय’
न प्रेम जाना किसी ने न दीवानगी
बस, एक मूरत और जोड़ दी मंदिर में
सब कुछ हिंदी में
एक मूरत और | आरती
मीरा गाती रही
साँसों के झाँझ मजीरे बजा बजाकर
समझाती रही प्रेम की पीर
‘मेरो दरद न जाने कोय’
न प्रेम जाना किसी ने न दीवानगी
बस, एक मूरत और जोड़ दी मंदिर में