दादाजी | अरविंद कुमार खेड़े
दादाजी | अरविंद कुमार खेड़े

दादाजी | अरविंद कुमार खेड़े

दादाजी | अरविंद कुमार खेड़े

अपने बालपन में 
अपने दादाजी से पूछा था कि – 
आपने काकाओं के नाम 
भगवानों के नाम पर क्यों रखे 
दादाजी ने बताया था – 
किसी ने अपने अंतिम समय में 
अपने बेटे ”नारायण” को पुकारा था 
दौड़े चले आए थे ”नारायण” 
दो साल तक चारपाई पर ही 
बुढ़ापा भोगने के बाद 
किसी सुबह चारपाई से नहीं उठे थे दादाजी 
अपने अंतिम समय में कोई उन्हें 
धरती पर नहीं सुला पाया था 
खबर लगते ही गाँव के 
”डेबरिया” और ”डेचरिया” काका 
फौरन चले आए थे 
उन्होंने ही हम सब को खबर दी 
आस-पास के दूर-दराज के सारे 
रिश्तेदारों के आने के बाद 
”राम” काका पहुँचे थे 
”मुरारी” काका दूसरे दिन 
”विष्णु” काका तीसरे दिन आए थे 
और ”नारायण” काका तो 
दादाजी के ”दसवें” में ही आ सके थे।

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