चुप्पा आदमी | मदन कश्यप

चुप्पा आदमी | मदन कश्यप

आदमी के चुप रहने का मतलब यह तो नहीं
कि उसके भीतर कोई हलचल नहीं है
फिर भी उन्हें पसंद है चुप्पा आदमी

चुप रहने से बाहर सब कुछ शांत रहता है
व्यवस्था उसके चुप रहने का इतना अभ्यस्त होती है
कि उसे बोलने मात्र के लिए सजा दी जा सकती है

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मगर ‘चुप रहने में ही भलाई’ बिल्कुल नहीं है

चुप्पे आदमी की जमीन सबसे पहले छीनी जाती है
और मुआवजा भी नहीं या नहीं के बराबर दिया जाता है

किसी भी आपदा में सबसे पहले
और सबसे ज्यादा मारे जाते हैं चुप्पे लोग!

(2010)