बिकने और बिकाने का | रामसनेहीलाल शर्मा

बिकने और बिकाने का | रामसनेहीलाल शर्मा

आया मौसम
बिकने और बिकाने का
गुस्से में
अपने नाखून चबाने का।

उजली रात वया के सपने
खड़ी फसल बिक जाएगी
झिझको मत शरमाना क्या
कीमत माँगों मिल जाएगी
पिंजड़ा-तोता
राम-राम रट फागुन-सावन
गंध-हवाएँ
छान-टपरिया लहँगा-फरिया
नीलामी हो जाने का।

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संत-भरम ईमान-धरम
संझवाती अब क्या करना ?
लाज-शरम
विश्वास करम
आत्मा-वात्मा से डरना ?
खेत-मड़ैया
प्यार-बलैया आँसू-वाँसू
हँसी-रुदन
इंगुर-वींगुर, रामरसोई
सबको जिन्स बनाने का।

ग्यावन गाय लली के सपने
सबके अच्छे दाम उठा
बरमथान की जगह सोच मत
नगर सेठ का मॉल बिठा
पीपर पाती माँ की थाती
बेंच बेंचले मौका है तेरा बेटा
और तुझे भी
चौकीदार बनाने का
आया मौसम
बिकने और बिकाने का

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