दोनों हथेलियों को जोड़कर
एक आधा चाँद बनता
हम सखियाँ आपस में
खिलखिलाती तेरा
प्रेमी सबसे सुंदर
कुछ आड़ी तिरछी रेखाएँ भी थीं
पर हम तो उस अधूरे चाँद से ही खुश थे
सखियाँ चाँद प्रेमी जिंदगी सब गड्डमड्ड
जिंदगी अधूरे चाँद की खिलखिलाहट नहीं
उलझी रेखाओं का सच भी जीना पड़ा
आसमान के दूधिया आधे चाँद को देख
हम मिलाते है अपनी हथेलियाँ
हमारा भरम गहरी आँखों में छप से
डूब जाता है
सच्ची उम्र का सबसे झूठा सच कितना सुहाना था ना