वह कहती थी और कहती रहती थी
तुम मेरे हो।

मैं कहता था
तुम मेरी हो और मेरी ही रहोगी।

आखिर जब बँटवारा हुआ
तो
दोनों आश्चर्य चकित थे!!

See also  रूमाल | गोरख पाण्डेय