औरत | अनुकृति शर्मा
औरत | अनुकृति शर्मा

औरत | अनुकृति शर्मा

औरत | अनुकृति शर्मा

अंतर्मुख नयनों में
लिए निराश आशा
मुरझाए होंठों पर
फेरती जुबान
कर्म-कठिन हाथों
सहलाती माथा
थके कंधे झुकाए
सीट की पुश्त से
सिर टिकाए बैठी
वह अनजान औरत
मेरी बहन है।
सूजी आँखों में
पिछली रात के आँसू
सूखे गालों में
बीती हँसी की झुर्रियाँ
काँपती चिबुक में
अनबोली बातें
पस्त गर्दन लटकाए
पैर सिकोड़े बाँहें फैलाए
मेरी बहन है
वह अनजान औरत।

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