औरत | दिविक रमेश
औरत | दिविक रमेश
वहाँ भी आग है
कहा किसी ने
मैंने पूछा
सबूत?
उठता हुआ धुआँ
दिखा दिया उसने।
क्या उसे
सच में नहीं मालूम
वहाँ
बटोरी गई
गीली-सूखी लकड़ियों से खप रही
एक औरत है —
सदियों से / आग के लिए
धुएँ से लड़ रही
एक औरत।
सब कुछ हिंदी में
औरत | दिविक रमेश
वहाँ भी आग है
कहा किसी ने
मैंने पूछा
सबूत?
उठता हुआ धुआँ
दिखा दिया उसने।
क्या उसे
सच में नहीं मालूम
वहाँ
बटोरी गई
गीली-सूखी लकड़ियों से खप रही
एक औरत है —
सदियों से / आग के लिए
धुएँ से लड़ रही
एक औरत।