आत्मालोचन | त्रिलोचन

शब्द
मालूम है
व्यर्थ नहीं जाते हैं

पहले मैं सोचता था
उत्तर यदि नहीं मिले
तो फिर क्या लिखा जाए
किंतु मेरे अंतर निवासी ने मुझसे कहा –
लिखा कर
तेरा आत्मविश्लेषण क्या जाने कभी तुझे
एक साथ सत्य शिव सुंदर को दिखा जाए

अब मैं लिखा करता हूँ
अपने अंतर की अनुभूति बिना रँगे चुने
कागज पर बस उतार देता हूँ।

See also  रंग महल में दीप जले