असंभव है | अवनीश सिंह चौहान

असंभव है | अवनीश सिंह चौहान

चौतरफा है
जीवन ही जीवन
कविता मरे
असंभव है

अर्थ अभी
घर का जीवित है
माँ, बापू, भाई-बहनों से
चिड़िया ने भी
नीड़ बसाया
बड़े जतन से, कुछ तिनकों से
मुनिया की पायल
बाजे छन-छन
कविता मरे
असंभव है

गंगा में
धारा पानी की
खेतों में चूनर धानी की
नए अन्न की
नई खुशी में
बसी महक है गुड़धानी की
शिशु किलकन है
बछड़े की रंभन
कविता मरे
असंभव है

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