अनोखी यह परिचित मुस्कान | त्रिलोचन
अनोखी यह परिचित मुस्कान | त्रिलोचन

अनोखी यह परिचित मुस्कान | त्रिलोचन

अनोखी यह परिचित मुसकान
जगा देती है मन में गान
नए लहरीले गान

जग चला नीड़ खगों का मौन
कहीं से चुपके चुपके कौन
पहुँच सोई कलियों के पास
सिखा जाता है हास विलास
मुझे केवल इस का है ध्यान

जगाता है समीर जब भोर
बदल जाता है चारों ओर
दृश्य जग का पहला श्रृंगार
नया संसार सुरभि संचार
कुतूहल कर जाता है दान

READ  कहो सदाशिव

वनस्पति जीव प्रफुल्ल सजीव
सजग सक्रिय हो चले अतीव
जगत का ऐसा समरस भाव
जगाता है मुझ में अपनाव
नई मानवता का सम्मान

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *