ऐ घोड़े चरानेवाली कुड़िए | लाल सिंह दिल

ऐ घोड़े चरानेवाली कुड़िए | लाल सिंह दिल

ऐ घोड़े चरानेवाली कुड़िए 
कोई गीत सुना 
तेरा गीत मुझे अच्छा लग जाएगा। 
जो उन दिनों में 
गाया हो। 
घोड़ों को चराते 
मन भर आया हो। 
जब हाथ पर कुदाल तेरे 
जमींदार ने मारी थी 
कैसे तड़पी थी माँ 
कैसे वह सब सहा था? 
कब जागेंगे वीर 
कब होंगे जवान 
कब चराएँगे घोड़े 
कब खींचेंगे कमान।

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