आजकल माँ केचेहरे सेएक सूखती हुई नदी कीभाप छुटती हैताप बढ़ रहा हैधीरे-धीरेबसबर्फानी चोटियाँपिघलतीं नहीं See also हिरन | विश्वनाथ-प्रसाद-तिवारी