तिल किन-किन बीमारियों में कैसे फायदा पहुँचाती है इसके बारे में विस्तृत रुप से जानने के लिए आगे चलते हैं-
बाल झड़ना, असमय सफेद बाल में तिल के तेल के फायदे –
आज के प्रदूषण और असंतुलित जीवनयापन का फल है बालों की समस्याएं। बालों का झड़ना, असमय सफेद बाल होना, गंजापन, रूसी की समस्या आदि ऐसी समस्याएं हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग परेशान रहते हैं। तिल के तेल का इस्तेमाल इन बीमारियों में बहुत फायदेमंद साबित होता है।
- तिल की जड़ और पत्ते का काढ़ा बनाकर काढ़े से बाल धोने से बाल सफेद नहीं होते।
- काले तिल के तेल ( तिल का तेल पतंजलि) को शुद्ध अवस्था में बालों में लगाने से बाल असमय सफेद नहीं होते। प्रतिदिन सिर में तेल की मालिश करने से बाल सदैव मुलायम, काले और घने रहते हैं।
- तिल के फूल तथा गोक्षुर को बराबर लेकर घी तथा मधु में पीसकर सिर पर लेप करने से बालो का झड़ना तथा रूसी दूर होती है।
- समान मात्रा में आँवला, काला तिल, कमल केसर तथा मुलेठी के चूर्ण में मधु मिलाकर सिर पर लेप करने से बाल लम्बे तथा काले होते हैं।
- खांसी में तिल के फायदे –
अगर मौसम बदलने पर आपको बार-बार खांसी होती है तो तिल का सेवन इस तरह से करने आराम मिलेगा।
- तिल के 30-40 मिली काढ़े में 2 चम्मच शक्कर डालकर पीने से खांसी में लाभ होता है।
- तिल और मिश्री को उबालकर पिलाने से सूखी खांसी मिटती है।
- रक्तातिसार (दस्त से खून आना) में तिल के फायदे –
अगर मसालेदार या पैकेज़्ड फूड खाने के कारण संक्रमण हो गया है और मल के साथ खून आ रहा है तो तिल का घरेलू नुस्ख़ा फायदा पहुँचा सकता है।
- तिलों के 5 ग्राम चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर बकरी के चार गुने दूध के साथ सेवन करने से रक्तातिसार में लाभ होता है।
आमातिसार या पेचिश में तिल के फायदे –
अगर खान-पान में गड़बड़ी या किसी बीमारी उपद्रव के तौर पर पेचिश हो गया है तोतिल के पत्तों को पानी में भिगोने से पानी में लुआब आ जाता है, यह लुआब को पिलाने से विसूचिका या हैजा, अतिसार या दस्त, आमातिसार या पेचिश, प्रतिश्याय (Coryza) और मूत्र संबंधी रोगों में लाभ होता है।
अर्श या पाइल्स में तिल के फायदे –
अगर आप को पाईल्स की बीमारी है और आप यदि अगर खानपान में अनियमिता करते है तो पाईल्स की बीमारी और बढ़ सकती है l उसमें तिल का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद साबित होता है।
- तिल को जल के साथ पीसकर मक्खन के साथ दिन में तीन बार भोजन से 1 घण्टा पहले खाने से अर्श में लाभ होता है तथा रक्त का निकलना बंद हो जाता है।
- तिल को पीसकर गर्मकर पोटली जैसा बांधने से अर्श में लाभ होता है।
- पतंजलि तिल के तेल की बस्ति (एनिमा) देने से अर्श में लाभ होता है।
- पथरी में तिल के फायदे –
पथरी होने पर तिल का सही तरह से सेवन करने पर शरीर पर तिल के फायदे मिलते हैं।
- तिल की छाया-सूखे कोमल कोपलों (125-250 मिग्रा) को प्रतिदिन खाने से पथरी गलकर निकल जाती है।
- तिल फूलोंके 1-2 ग्राम क्षार में 2 चम्मच मधु और 250 मिली दूध मिला कर पिलाने से पथरी गल जाती है।
- 125-250 मिग्रा तिल पञ्चाङ्ग भस्म को सिरके के साथ प्रात सायं भोजन से पहले सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है।
- गर्भाशय विकार में तिल के फायदे –
अगर ओवरी का सूजन कम नहीं हो रहा है तो तिल का सेवन इस तरह से करना अच्छा होता है।
- तिल को दिन में 3-4 बार सेवन करने से गर्भाशय संबंधी रोगों में लाभ होता है।
- 30-40 मिली तिल काढ़े का सेवन करने से पीरियड्स के समस्याओं में लाभ होता है।
- तिल के 100 मिली काढ़ा में 2 ग्राम सोंठ, 2 ग्राम काली मिर्च और 2 ग्राम पीपल का चूर्ण बुरककर दिन में तीन बार पिलाने से पीरियड्स या मासिक धर्म में लाभ होता है।
- रूई के फाहे को तिल के तेल में भिगोकर योनि में रखने से श्वेतप्रदर या सफेद पानी में लाभ होता है। तिल के तेल के फायदे सफेद पानी यानि ल्यूकोरिया में होता है।
- 1-2 ग्राम तिल चूर्ण को दिन में 3-4 बार जल के साथ लेने से ऋतुस्राव यानि पीरियड्स नियमित हो जाता है।
- तिल का काढ़ा बनाकर लगभग 30-40 मिली काढे को सुबह शाम पीने से मासिक-धर्म नियमित हो जाता है।