गमछा
गमछा

फसलें कट चुकी हैं
किसी मजूर का पसीने से
तरबतर गमछा यहाँ
छूटा हुआ है

उसका लड़का ढूँढ़ते हुए
यहाँ आएगा
पसीने की गंध से
पहचान जाएगा कि यह
उसके बाप का गमछा है

READ  लावा रोज झरता है | राजेंद्र गौतम

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *