गुठली
गुठली

यह बेकार की पड़ी हुई चीज नहीं है
मिट्टी पानी मिलते ही इसके अंदर से
उगने लगेगा एक पौधा
धूप पाकर होगा छतनार

इसके अंदर सोया हुआ है
एक वृक्ष
इसके भीतर फलों का खजाना
छिपा हुआ है

फल खाकर जिसने भी फेंकी होगी
यह गुठली उसे यह पता न होगा
कि वह अपनी जिंदगी से कितनी जरूरी चीज
फेंक रहा है

READ  जलपरी

यह गुठली नही क्रांतिबीज है
जिसमें वृक्षों की अनेकानेक संततियाँ
जन्म लेने के लिए बेचैन हैं

इसके भीतर
वृक्षों की दुनिया को कोलाहल से भरनेवाले
परिंदे छिपे हुए हुए हैं

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *