असंख्य बार मैंने गिनना चाहा
लेकिन तारे कभी उंगली पर नहीं आए
हमेशा बाहर रहे और उनका टिमटिमाना
धूल ने भी अपने पानी में देखा
बच्चे जब-जब थके
बैठ गए अगली रात के इंतजार में और
फिर निराश हुए
ये तारे फिर नहीं गिने गए
ये तारे जहाँ रहे
कभी झाँसे में नहीं आए किसी के
वरना जिनके पास ताकत है
उनकी जेबों में टिमटिमाते रहते।