माफी | लीना मल्होत्रा राव
माफी | लीना मल्होत्रा राव

माफी | लीना मल्होत्रा राव

माफी | लीना मल्होत्रा राव

तुमने अपनी आँखों से कुछ निकाल कर मेरी हथेलियों पर रख दिया 
आँखें प्रकाश से भरी कोठरियों जैसी थीं तुम्हारी

हथेलियाँ अँधेरे द्वीप की तरह फैली थी 
जिसके तट पर स्मृतियों के कई जहाज यात्रा को तैयार खड़े थे

कोठरियों की रोशनी थी कि खाली नहीं होती थी 
और द्वीप का असमाप्त अँधेरा !

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मैं जो अभी अभी नहीं थी ! 
अभी अभी थी !

मैं जब उठी 
आह! 
तुम स्वप्न में ही रह गए

मेरे हाथ रिक्त थे 
दिल काफी हल्का था

और 
मेरे सपने में आने की एवज में 
मैंने तुम्हें माफ कर दिया था

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