नदी उदास है | रेखा चमोली
नदी उदास है | रेखा चमोली

नदी उदास है | रेखा चमोली

नदी उदास है | रेखा चमोली

आजकल वह
एक उदास नदी बनी हुई है
वैसे ही जैसे कभी
ककड़ी बनी
अपने पिता के खेत में लगी थी
जिसे देखकर हर राह चलते के मुँह में
पानी आ जाता था

अपनी ही उमंग में
नाचती कूदती फिरती यहाँ वहाँ
अचानक वह बाँध बन गई

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कभी पेड़ बनकर
उन बादलों का इंतजार करती रह गई
जो पिछली बार बरसने से पहले
फिर-फिर आने का वादा कर गए थे

ऐसे समय में जबकि
सबकुछ मिल जाता है ड़िब्बाबंद
एक नदी का उदास होना
बहुत बड़ी बात नहीं समझी जाती।

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