बैल | राकेश रंजन

बैल | राकेश रंजन

उन्हें अपने खेत से
हँका दिया गया
वे कुछ नहीं बोले

उन्हें खलिहान से
हाट तक की बाट से
हटा दिया गया
वे कुछ नहीं बोले

उन्हें ले जाया गया
बूचड़खाने की ओर
फिर भी
वे कुछ नहीं बोले

अगर बोल पाते वे
बैल क्यों कहाते वे

See also  मेरे महबूब | अभिमन्यु अनत