माँ, तुम नहीं हो | रविकांत
माँ, तुम नहीं हो | रविकांत
जब तुम थीं
कुछ विशेष नहीं लगता था
हाँ तुम्हारे जाने की बात
तब भी
बुरी लगती थी
आज तुम नहीं हो –
जैसे
मुख्य राग
नहीं बज रहा
कोलाहल
है
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माँ, तुम नहीं हो | रविकांत
जब तुम थीं
कुछ विशेष नहीं लगता था
हाँ तुम्हारे जाने की बात
तब भी
बुरी लगती थी
आज तुम नहीं हो –
जैसे
मुख्य राग
नहीं बज रहा
कोलाहल
है