चंदन गंध | रमानाथ अवस्थी
चंदन गंध | रमानाथ अवस्थी

चंदन गंध | रमानाथ अवस्थी

चंदन गंध | रमानाथ अवस्थी

चंदन है तो महकेगा ही
आग में हो या आँचल में

छिप न सकेगा रंग प्यार का
चाहे लाख छिपाओ तुम
कहनेवाले सब कह देंगे
कितना ही भरमाओ तुम

घुँघरू है तो बोलेगा ही
सेज में हो या सांकल में

अपना सदा रहेगा अपना
दुनिया तो आनी-जानी
पानी ढूँढ़ रहा प्यासे को
प्यासा ढूँढ़ रहा पानी
पानी है तो बरसेगा ही
आँख में हो या बादल में

READ  अँखियाँ हरि-दरसन की भूखीं

कभी प्यार से कभी मार से
समय हमें समझाता है
कुछ भी नहीं समय से पहले
हाथ किसी के आता है
 

समय है तो वह गुज़रेगा ही
पथ में हो या पायल में

बड़े प्यार से चाँद चूमता
सबके चेहरे रात भर
ऐसे प्यारे मौसम में भी
शबनम रोई रात भर
 

READ  चिड़िया

दर्द है तो वह दहकेगा ही
घन में हो या घानल में

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *