फूलों का गाँव | मस्सेर येनलिए
फूलों का गाँव | मस्सेर येनलिए

फूलों का गाँव | मस्सेर येनलिए

फूलों का गाँव | मस्सेर येनलिए

मैंने फूल से सीखा कि किस तरह
अपनी जगह खड़ा हुआ जाए
मैंने कोई दूसरा सूरज नहीं देखा
मैंने कोई दूसरा पानी नहीं देखा
मैंने अपनी जड़े अपने गाँव में पाईं
मेरी जमीन ही मेरा आसमान है

मौसम मुझ पर से गुजरते हैं
चींटियों के घरोंदों के दोस्त
मैंने एक फूल बनना सीखा
बिना रुके खड़े रहने से

READ  कितनी रातों की मैंने | महादेवी वर्मा

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *