खिलौने | बाबुषा कोहली
खिलौने | बाबुषा कोहली

खिलौने | बाबुषा कोहली

खिलौने | बाबुषा कोहली

आदमी उठा रहा है हाथ
अपने भुजाओं में मचलती मछलियाँ दिखाने को
औरत आवाज उठाती है
अपना फट चुका आँचल दिखाने को
बच्चा अपने खिलौने उठाता है
किसी सुरक्षित जगह उन्हें छुपाने को
मेरे हाथ में अब भी मशाल या हँसिये नहीं हैं
मैंने किसी से लाल सलाम नहीं किया है

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सचमुच !
बहुत कुछ उठा कर यहाँ वहाँ रखा जा चुका है
खिलौनों का अपनी जगह पर न मिलना
तीसरे विश्व युद्ध से कहीं बड़ा खतरा है

दरअसल
मैं उस जगह की खोज में हूँ जहाँ बच्चों ने अपने खिलौने छुपा रखे हैं

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