मैदान में खड़े हैं
कई तरह के पेड़
सब की हरियाली है
अलग-अलग
जबकि जमीन एक है
खड़े हैं : एक-दूसरे को सहते
अपनी-अपनी ऋतुओं में
फूलते-फलते
साथ-साथ रहते
वर्षों से।
![मैदान में | प्रेमशंकर शुक्ला | हिंदी कविता](https://www.hindiadda.com/wp-content/uploads/ha/2019/12/a18.png)
सब कुछ हिंदी में
मैदान में खड़े हैं
कई तरह के पेड़
सब की हरियाली है
अलग-अलग
जबकि जमीन एक है
खड़े हैं : एक-दूसरे को सहते
अपनी-अपनी ऋतुओं में
फूलते-फलते
साथ-साथ रहते
वर्षों से।