रात को मोर | प्रयाग शुक्ला
रात को मोर | प्रयाग शुक्ला

रात को मोर | प्रयाग शुक्ला

रात को मोर | प्रयाग शुक्ला

बोलते हैं मोर
रह-रह
रात को।

रात को
रह-रह।

बहुत गहरे।
बहुत गहरे।
अँधेरे में।

नींद के इन
किन कपाटों
बीच।

रह-रह
बोलते हैं –

रात को।

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