याद आती है | पंकज चतुर्वेदी

मैं जब सातवें दर्जे में पढ़ता था 
हमारे कला-अध्यापक 
विजय कुमार वहल ने कहा : 
एक गिलास बनाओ

मैंने बनाया 
एक दुबला, बेजान 
डाँवाँडोल-सा गिलास 
और उसके नीचे लिखा गिलास 
उन्हें दिखाया

वे बोले : 
अब तो मैं मान ही लूँगा 
कि यह गिलास है

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तब से कितना अर्सा बीता 
जब भी किसी कविता पर 
लिखता हूँ कविता 
उनकी याद आती है