बस में स्त्रियाँ खड़ी थीं | पंकज चतुर्वेदी

बस में स्त्रियाँ खड़ी थीं | पंकज चतुर्वेदी

बस में स्त्रियाँ खड़ी थीं

हमारे पास शब्द नहीं रहे थे 
कि उन्हें बैठने को कहते

पाँवों में इतनी जान नहीं थी 
कि उनके लिए खड़े रह पाते

मन में कोई कोमलता नहीं बची थी 
कि उनके बैठ सकने के उपाय सोचते

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बस में स्त्रियाँ खड़ी थीं 
और इस तरह मुझे भय था 
कि वे हमारे बैठे होने पर 
कोई टिप्पणी नहीं कर रही थीं