आलोचक | पंकज चतुर्वेदी

मीर ने कहा 
शायर कहाँ हूँ 
कितने दुख जमा किए 
तो दीवान किया

आलोचक ने क्या जमा किया 
जो इतिहास किया

कविता के पथ पर 
भीख माँगते 
फटे-लटे कपड़ों में 
त्रिलोचन को देखा त्रिलोचन ने 
आलोचक ने नहीं देखा

आलोचक राजा है 
कवि है चिड़िया

मेरी माँ 
एक कहावत कहती हैं 
चिड़िया जान से गई 
राजा को अलोनी लगी

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