हर आने वाली मुसीबत | नरेश अग्रवाल

हर आने वाली मुसीबत | नरेश अग्रवाल

उसकी गतिविधियाँ
असामान्य होती हैं
दूर से पहचानना
बहुत मुश्किल होता है

या तो वह कोई बाढ़ होती है
या तो कोई तूफान
या फिर अचानक आई गंध

वह अपने आप
अपना द्वार खोलती है और
बिना इजाजत प्रवेश कर जाती है

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फिर भागते रहो
घंटों छुपते रहो इससे
जब तक वह दूर नहीं चली जाती
हमारे मन से

बचा रह जाता है
उसके दुबारा लौट आने का भय।