गेहूँ के दाने | नरेश अग्रवाल

गेहूँ के दाने | नरेश अग्रवाल

ये दाने गेहूँ के 
जो अभी बंद हैं 
मेरी मुट्ठी में 
थोड़ी-सी चुभन देकर 
हो जाते हैं शांत 
अगर जो ये होते 
मिट्टी के भीतर 
दिखला देते 
मुझे ताकत अपनी।

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