दिल को पहलू में सँभाले | दिनेश कुशवाह
दिल को पहलू में सँभाले | दिनेश कुशवाह

दिल को पहलू में सँभाले | दिनेश कुशवाह

दिल को पहलू में सँभाले | दिनेश कुशवाह

दिल को पहलू में सँभाले एक ज़माना हो गया,
आप कहते हैं कि वो सपना पुराना हो गया।

जिसकी चौहद्दी में हर एक आदमी था आदमी,
जिसके चलते आँखवाला, हर सयाना हो गया।

बस गए दिल में हमारे सेठ मल्टीनेशनल,
बिलबिलाता भूख से, भाई बेगाना हो गया।

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झूलते हैं लोग अब ख़ुद फाँसिओं पर खेत में,
देश की सरकार का, ये ताना-बाना हो गया।

शर्म तो जाती रही ऊपर से ऐसी नंगई,
माफियों डानों के घर में आजा जाना हो गया।

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