विद्रोह | जितेंद्र श्रीवास्तव | हिंदी कविता
विद्रोह | जितेंद्र श्रीवास्तव | हिंदी कविता

प्रकाश भेद देता है
अंधकार की हर माया
उम्मीद की फसल लहलहाती है
उजाले का साथ पाकर

एक भकजोन्हिया
धीरे से कर देता है विद्रोह
सनातन दिखने वाले अंधकार के विरुद्ध
और दोस्त, तुम अब भी पूछ रहे हो
बताओ तुम्हारी योजना क्या है!

READ  शेष | अशोक वाजपेयी

Leave a comment

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *