दुनिया का सबसे गरीब आदमी | चंद्रकांत देवताले
दुनिया का सबसे गरीब आदमी | चंद्रकांत देवताले

दुनिया का सबसे गरीब आदमी | चंद्रकांत देवताले

दुनिया का सबसे गरीब आदमी | चंद्रकांत देवताले

दुनिया का सबसे गरीब आदमी
दुनिया का सबसे गैब इनसान
कौन होगा
सोच रहा हूँ उसकी माली हालत के बारे में
नहीं! नहीं!! सोच नहीं
कल्पना कर रहा हूँ

मुझे चक्कर आने लगे हैं
गरीब दुनिया के गंदगी से पते
विशाल दरिद्र मीना बाजार का सर्वे करते हुए
देवियों और सज्जनों
‘चक्कर आने लगे हैं’
यह कविता की पंक्ति नहीं
जीवनकंप है जिससे जूझ रहा इस वक्त
झनझना रही है रीढ़ की हड्डी
टूट रहे हैं वाक्य
शब्दों के मलबे में दबी-फँसी मनुजता को
बचा नहीं पा रहा
और वह अभिशप्त, पथरी छायाओं की भीड़ में
सबसे पीछे गुमसुम धब्बे-जैसा
कौन-सा नंबर बताऊँ उसका
मुझे तो विश्व जनसंख्या के आँकड़े भी
याद नही आ रहे फिलवक्त
फेहरिस्तसाजों को
दुनिया के कम-से-कम एक लाख एक
सबसे अंतिम गरीबों की
अपटुडेट सूची बनाना चाहिए
नाम, उम्र, गाँव, मुल्क और उनकी
डूबी-गहरी कुछ नहीं-जैसी संपति के तमाम
ब्यौरों सहित

हमारे मुल्क के एक कवि के बेटे के पास
ग्यारह गाड़ियाँ जिसमें एक देसी भी
जिसके सिर्फ चारों पहियों के दाम दस लाख
बताए थे उसके ऐश्वर्य-शानो-शौकत के एक
शोधकर्ता ने
तब भी विश्व के धन्नासेठों में शायद ही
जगह मिले
और दमड़ीबाई को जानता हूँ मैं
गरीबी के साम्राज्य के विरत रूप का दर्शन
उसके पास कह नहीं पाऊँगा जुबान गल
जाएगी
पर इतना तो कह सकता हूँ वह दुनिया की
सबसे गरीब नहीं

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दुनिया के सत्यापित सबसे धनी बिल गेट्स
का फोटो
अखबारों के पहले पन्ने पर
उसी के बगल में जो होता
दुनिया का सबसे गरीब का फोटू
तो सूरज टूट कर बरस पड़ता भूमंडलीकरण
की तुलनात्मक हकीकत पर रोशनी डालने के
लिए

पर कौन खींचकर लाएगा
उस निर्धनतम आदमी का फोटू
सातों समुंदरों के कंकड़ों के बीच से
सबसे छोटा-घिसा-पिटा-चपटा कंकड़
यानी वह जिसे बापू ने अंतिम आदमी कहा था
हैरत होती है
क्या सोचकर कहा होगा
उसके आँसू पोंछने के बारे में
और वे आँसू जो अदृश्य सूखने पर भी बहते
ही रहते हैं
क्या कोई देख सकेगा उन्हें

और मेरी स्थिति कितनी शर्मनाक
न अमीरों की न गरीबों की गिनती में
और मेरी स्थिति कितनी शर्मनाक
न अमीरों की न गरीबों की गिनती में
मैं धोबी का कुत्ता प्रगतिशील
नीचे नहीं जा सका जिसके लिए
लगातार संघर्षरत रहे मुक्तिबोध
पाँच रुपए महीने की ट्यूशन से चलकर
आज सत्तर की उमर में
नौ हजार पाँच सौ वाली पेंशन तक
ऊपर आ गया
फिर क्यों यह जीवनकंप
क्यों यह अग्निकांड
की दुनिया का सबसे गरीब आदमी
किस मुल्क में मिलेगा
क्या होगी उसकी देह-संपदा
उसकी रोशनी, उसकी आवाज-जुबान और
हड्डियाँ उसकी
उसके कुचले सपनों की मुट्ठीभर राख
किस हंडिया में होगी या अथवा
और रोजमर्रा की चीजें
लता होगा कितना जर्जर पारदर्शी शरीर पर
पेट में होंगे कितने दाने
या घास-पत्तियाँ
उसके इर्द-गिर्द कितना घुप्प होगा
कितना जंगल में छिपा हुआ जंगल
मृत्यु से कितनी दुरी पर या नजदीक होगी
उसकी पता नहीं कौन-सी साँस
किन-किन की फटी आँखों और
बुझे चेहरों के बीच वह
बुदबुदा या चुगला रहा होगा
पता नहीं कौन-सा दृश्य, किसका नाम

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कोई कैसे जान पाएगा कहाँ
किस अक्षांश-देशांश पर
क्या सोच रहा है अभी इस वक्त
क्या बेहोशी में लिख रहा होगा गूँगी वसीयत
दुनिया का सबसे गरीब आदमी
यानि बिल गेट्स की जात का नही
उसके ठीक विपरीत छोर के
अंतिम बिंदु पर खासता हुआ
महाश्वेता दीदी के पास भी
असंभव होगा उसका फोटू
जिसे छपवा देते दुनिया के सबसे बड़े
धन्नासेठ के साथ
और उसका नाम
मेरी क्या बिसात जो सोच पाऊँ
जो होते अपने निराला-प्रेमचंद-नागार्जुन-मुक्तिबोध
या नेरुदा तो संभव है बता पाते
उसका सटीक कोई काल्पनिक नाम
वैसे मुझे पता है आग का दरिया है गरीबी
ज्वालामुखी है
आँधियों की आँधी
उसके झपट्टे-थपेड़े और बवंडर
ढहा सकते हैं
नए-से-नए साम्राज्यवाद और पाखंड को
बड़े-से-बड़े गढ़-शिखर
उडा सकते पूँजी बाजार के
सोने-चाँदी-इस्पात के पुख्ता टीन-टप्पर

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पर इस वक्त इतना उजाला
इतनी आँख-फोड़ चकाचौंध
दुश्मनों के फरेबों में फँसी पत्थर भूख
उन्हीं की जय-जयकार में शामिल
धड़ंग जुबानें
गाफिल गफलत में
गुणगान-कीर्तन में गूँगी
और मैं तरक्की की आकाशगंगा में
जगमगाती इक्कीसवीं सदी की छाती पर
एक हास्यास्पद दृश्य
हलकान दुनिया के सबसे गरीब आदमी के वास्ते

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