सरयू | घनश्याम कुमार देवांश
सरयू | घनश्याम कुमार देवांश
पहली बार पृथ्वी के चलायमान होने का सुख
महसूस किया तुम्हारी बालू पर खड़े होकर
शरीर के भीतर का पानी और मछली होने का सुख
पहली बार जाना तुम्हारे भीतर उतरकर
मैंने ईश्वर से कहा
अगली बार तुम्हारी देह में मछली होने के लिए