उसका देखना | कुमार अनुपम
उसका देखना | कुमार अनुपम

उसका देखना | कुमार अनुपम

बीमार था भाई और अस्पताल भरा हुआ

खुले आकाश के नीचे

नसीब हुआ उसे किसी तरह एक बेड

बेहद जद्दोजहद के बाद

ऐसा आपातकाल था

ड्रिप की सीली-सी आवाज थी जब बुदबुदाया –

हमारे देखने की सीमा तो देखिए !

वह चाँद देख रहा था और तारे

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अब उसका बोलना बर्फ हो रहा था –

और जमीन पर थोड़ी ही दूरी पर

चलता हुआ आदमी तो ओझल हो जाता है

यकायक हमारी निगाह से

भैया, देखिए जरा कितने पेंच हैं इस दुनिया में !

वह बहुत मासूम दिख रहा था और खतरनाक तरीके से गंभीर

अब मैं

उसे बीमार कहकर शर्मिंदा हो रहा हूँ

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