कविता की जरूरत | कुँवर नारायण
कविता की जरूरत | कुँवर नारायण

कविता की जरूरत | कुँवर नारायण

कविता की जरूरत | कुँवर नारायण

बहुत कुछ दे सकती है कविता
क्यों कि बहुत कुछ हो सकती है कविता
जिंदगी में अगर हम जगह दें उसे
जैसे फलों को जगह देते हैं पेड़
जैसे तारों को जगह देती है रात

हम बचाये रख सकते हैं उसके लिए
अपने अंदर कहीं ऐसा एक कोना
जहाँ जमीन और आसमान
जहाँ आदमी और भगवान के बीच दूरी
कम से कम हो।

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वैसे कोई चाहे तो जी सकता है
एक नितांत कवितारहित जिंदगी
कर सकता है
कवितारहित प्रेम

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